काबुल. अफगानिस्तान में टीवी पर शुक्रवार को प्रसारित होने वाले चैट शो में एक महिला शो की होस्ट मोजदा जमालदा के गले लग जाती हैं। उस महिला ने बताया कि शो से प्रेरित होकर ही उसने पति की पिटाई का विरोध किया और इसके बाद से पति ने महिला और बच्चों पर हाथ नहीं उठाया। द मोजदा शो इस तरह के किस्सों से भरा पड़ा था। पर दो ही साल में यह शो बंद कर दिया गया। मोजदा जरा भी परेशान नहीं हुईं, उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए महिलाओं के हक में जंग जारी रखी। अब वह सोशल मीडिया के जरिए अभियान चला रही हैं। यह बात उन्होंने उनकी जिंदगी पर लिखी गई किताब वॉइस ऑफ रेबेलियन में बताई है। जो इसी हफ्ते लॉन्च होने जा रही है। इसे रोबर्टा स्टेली ने लिखा है।
गृहयुद्ध से त्रस्त होकर मोजदा का परिवार कनाडा में रहने चला गया था। उस वक्त वह पांच साल की थी। कनाडा से ही उसने तालिबानी तबाही का मंजर देखा। वैंकूवर में मोजदी की मां ने सैलून और पिता ने बेकरी का काम शुरू कर दिया। पर मोजदा को तो अपने दोस्तों, रिश्तेदारों की याद सताती थी, जो अफगानिस्तान में छूट गए थे।
मोजदा के गाने की ओबामा ने तारीफ की थी
2009 में एक टैलेंट शो में हिस्सा लेने के लिए काबुल लौट आईं। मोजदा का गाया हुआ गीत अफगान गर्ल पूरे अफगानिस्तान में पसंद किया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने भी इसकी तारीफ की थी। यह गाना स्कूली बच्चियों पर एसिड अटैक के खिलाफ लिखा गया था। इसी से उन्हें शो का मौका मिला। शो की शुरुआत छोटे मुद्दों से हुई, पर जल्दी ही घरेलू हिंसा, तलाक और शादियों में बेतहाशा खर्च जैसे विषय जुड़ते गए। मोजदा ने चर्चा के लिए मनोवैज्ञानिक एक्सपर्ट्स को भी बुलाना शुरू किया। इसके बाद धमकियां मिली, हमले हुए।
छोटी ही सही, प्रभावशाली जिंदगी जीनी चाहिए
30 साल की मोजदा के मुताबिक वह सोचती थी कि वह कभी भी मारी जा सकती है। इसलिए छोटी ही सही, प्रभावशाली जिंदगी जीनी चाहिए। उनके पास कनाडा की नागरिकता थी, कभी भी कनाडा के दूतावास में जाकर सुरक्षा मांग सकती थीं, पर ऐसा नहीं किया। आज मोजदा अफगानी लड़कियों के लिए फारसी-अंग्रेजी में गाने गाती हैं, उन्हें उनके हकों के बारे में बताती हैं। माजदा कहती हैं कि मुझे पता है कि इस दिशा में बहुत कुछ करना है, यही मेरी जिंदगी का लक्ष्य है।